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Nishamishra1955
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October 2022
8 months ago
Submitted Poems 2 total
"लक्ष्य पर नजर "देखिये मकसद हमेशा ,मुश्किले ना देखिऐ। यू समझ ये ब्यर्थ जीवन ,यू ना ऐसे खेलिए जिंदगी मैदान हैं, कुरक्षेत्र कीभूमी। हैं ये, है यही हा कर्म स्थल हैं यही धर्म स्थल / ... | 0 Views added 1 year ago | Rating |
बचपनकि बचपन छोङ कर जब उमृ थी बढने लगी / जिंदगी तूफान सी लगने लगी, कि बचपन............ | 0 Views added 1 year ago | Rating |
... see them all »