.हर एक रोज़ जिन्दगी तमा� ा करती है , उम्मीदों की सुबह से बस आ� ा करती है , � ाम ए चराग जलाने में निकल जाती है , ख्वाबों को आंखों से रात निगल जाती है , हासिल कुछ होता नहीं नई ख्वाहि� ों से , महसूस हो रहा है बंध गया नई बंदि� ों से , ...
– by Poetry_Of_SJT
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